कंप्‍यूटर की पीढि़यॉं | Generations of Computer

कंप्‍यूटर की पीढि़यॉं
Generations of Computer

कंप्‍यूटर जनरेशन को हम 4 भागों में विभाजित करते हैं। इसमें प्रथम पीढ़ी 1942 से 1955 तक, दूसरी पीढ़ी 1955 से 1965 तक, तीसरी पीढ़ी 1965 से 1975 तक और चौथी पीढ़ी 1975 से अब तक की मानी जाती है। और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंट (Artificial Intelligent) अथवा AI के आविष्‍कार के बाद अब हम कंप्‍यूटर की पॉचवी पीढ़ी में कदम रखने जा रहे हैं।


प्रथम पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स में निर्वात ट्यूब (Vacuum Tubes) का उपयोग होता था जिसकी वजह से यह बहुत गर्म हो जाते थे इसलिए इन्‍हें ठंडा रखने की जरूरत पड़ती थी। इन कंप्‍यूटर्स का आकार बहुत बड़ा होता था। इन्‍हीं कारणों से इसका रखरखाव बहुत अधिक मंहगा था। इन कंप्‍यूटर्स में स्‍टोरेज के लिए पंचकार्ड का उपयोग किया जाता था। प्रथम पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स में ENIAC, UNIVAC और मार्क-। आते हैं।

द्वितीय पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स में वेक्‍यूम ट्यूब की जगह छोटे ट्रांजिस्‍टर्स ने ले ली। जिससे इनका आकार छोटा हो गया और यह अधिक गर्म भी नहीं होते थे। इन कंप्‍यूटर्स में स्‍टोरेज के लिए मेग्‍नेटिक टेप का उपयोग किया जाता था।

तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स में ट्रां‍जिस्‍टर्स की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit) यानि IC का उपयोग किया जाने लगा जिससे तीव्र क्षमता वाले कंप्‍यूटर्स का विकास संभव हुआ। और कंप्‍यूटर प्रोग्रमिंग की नई-नई भाषाओं का विकास संभव हुआ। रेम (RAM) अर्थात Random Access Memory का आविष्‍कार तीसर पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स से ही हुआ। तीसरी पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स से मल्‍टी यूज़र कंप्‍यूटर्स का विकास हुआ। इन कंप्‍यूटर्स में स्‍टोरेज के लिए इलेक्‍ट्रोमेग्‍नेटिक डिस्‍क का उपयोग किया जाने लगा जिससे स्‍टोरेज क्षमता बहुत अधिक बढ़ गई।

चौथी पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स में LSI तथा VLSI  (Large Scale Integration & Very Large Scale Integration) के उपयोग से अत्‍यधिक तीव्र क्षमता वाले कंप्‍यूटर्स का विकास हुआ। कंप्‍यूटर्स का आकार उनकी उत्‍पत्ति के समय के कंप्‍यूटर्स से कई गुणा अधिक कम हो गया। स्‍टोरेज के लिए CD, DVD तथा सेमीकण्‍डक्‍टर मेमोरी का उपयोग होने लगा। रेम की क्षमता बढ़ने के साथ-साथ कंप्‍यूटर्स की तीव्रता भी बढ़ने लगी। DOS, Windows और Mac OS के आविष्‍कार ने इनका उपयोग अधिक सरल बना दिया जिससे कंप्‍यूटर्स व्‍यावसायिक संस्‍थानों में ही नहीं लगभग हर घर में पहुंच गये।

पांचवी पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स में ULSI (Ultra Large Scale Integration) का उपयोग प्रांरभ हो गया है। पांचवी पीढ़ी के कंप्‍यूटर्स को भविष्‍य के कंप्‍यूटर्स भी कहा जाता है। इसके लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंट का आविष्‍कार और प्रयोग भी किये जा रहे हैं ताकि विभिन्‍न परिस्थितियों के आधार पर कंप्‍यूट स्‍वयं निर्णय ले सकें। स्‍टोरेज के विभिन्‍न साधनों जैसे पेनड्राईव, फ्लेशकार्ड, एस.एस.डी. आदि ने संग्रहण क्षमता को बहुत अधिक बढ़ा दिया है।


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